बगरु. यूं तो पूरी दुनिया में भगवान श्रीराम के अनेक मंदिर हैं, लेकिन भारत के हृदय स्थल मध्यप्रदेश के उज्जैन में भगवान श्रीराम का संभवत दुनिया का इकलौता मंदिर है जिसमें श्रीराम अपने अनुज श्री लक्ष्मण व माता जानकी के साथ दाढ़ी-मूंछ के साथ भक्तों को दर्शन देते हैं। पुरातत्वविदों के अनुसार प्राचीन विष्णु सागर के तट पर करीब 265 साल पुरा राम-जनार्दन मंदिर है। मराठा काल में वर्ष 1748 में इसका निर्माण हुआ था। प्राचीन विष्णु सागर के तट पर विशाल परकोटे से घिरा मंदिरों का समूह है। इनमें एक श्रीराम मंदिर और दूसरा विष्णु मंदिर है। इसे सवाई राजा एवं मालवा के सबूेदार जयसिंह ने बनवाया था। इस मंदिर में 11वीं शताब्दी में बनी शेषशायी विष्णु तथा 10वीं शताब्दी में निर्मित गोवर्धनधारी कृष्ण की प्रतिमाएं भी लगी हैं। यहां श्रीराम, लक्ष्मण एवं माता जानकी की प्रतिमाएं वनवासी वेशभूषा व चलायमान स्थिति में हैं। यहां पर भी है दाढ़ी-मूंछ वाली प्रतिमा शहर के कार्तिक चौक स्थित बूढ़ा मंदिर में भी भगवान श्रीराम, श्री लक्ष्मण व माता जानकी प्रतिमा हैं। महंत ओमप्रकाश निर्वाणी के अनुसार परमार काल के चंद्रगुप्त द्वितीय ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। काले वर्ण वाले श्रीराम की मूर्ति देश में दो स्थानों पर है। एक नासिक के पंचवटी में और दूसरी अवंतिका में है। माता सीता की मूर्ति के हाथ में पानी की झारी और चंवर है। हनुमानजी की मूर्ति मानव ब्राह्मण स्वरूप है। हनुमानजी की ऐसी प्रतिमा देश में कही भी नहीं है। पुरातत्वविदों के अनुसार परमार काल का यह मंदिर 800 वर्ष पुराना है।
दुनिया का एकमात्र राम मंदिर जिसमें श्रीराम-लक्ष्मण की है दाढ़ी-मूंछे व चलायमान प्रतिमा