आज उज्जैन संभाग के सोशल मीडिया पर यदि सबसे ज्यादा किसी व्यक्ति की चर्चा रही तो वो नाम है उज्जैन आलोट के पूर्व सांसद और मध्यप्रदेश भाजपा प्रवक्ता प्रो.चिन्तामणि मालवीय जी का । यदि जनता के दिलो में इतनी गहरी पैठ है तो इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है आम जन से सीधा जुड़ाव । वैसे तो हमने ओर आपने अनेक नेता देखे होंगे ओर उनके जन्मदिन पर ताम-झाम ओर दिखावा भी देखा होगा । लाखों रुपये खर्च करने के बाद उन कार्यक्रमो से जनता का कोई भला नही होता लेकिन नेता का महिमा मंडन हो जाता है । ऐसे ताम-झाम ओर महिमा मंडन से उज्जैन के पूर्व सांसद चिन्तामणि मालवीय हमेशा दूर रहें है । सांसद रहते भी किसी जन्मदिन पर उन्होंने हजारों ट्रैक्टर ट्रॉली के पीछे एक ही दिन में अपने कार्यकर्ताओं के साथ रेडियम लगाए थे ताकि रात्रि में अंधेरे के कारण किसी दुर्घटना से आमजन को बचाया जा सकें । दूसरे साल उन्होंने अपने जन्मदिन पर 3000 से ज्यादा मजदूरों का प्रधानमंत्री बीमा योजना में बीमा करवा कर भविष्य सुनिश्चित किया । तीसरे जन्मदिन पर उन्होंने रूपाखेड़ी में एक ही दिन में ऐतेहासिक तालाब का निर्माण कराया वो भी कार्यकर्ताओं के साथ लेकर जनसहयोग से । चौथे वर्ष उन्होंने जनसहयोग से फिर ग्राम सिमरोल में एक ही दिन में सड़क का निर्माण किया । इस बार कोरोना के कारण उन्होंने 4 दिन पूर्व ही वीडियो के माध्यम से अपील जारी कर अपना जन्मदिन निरस्त कर फिर उदाहरण पेश किया ।
जनता के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर उज्जैन में रहते हुए उन्होंने केवल फोन पर कार्यकर्ताओं से संवाद किया और शुभकामनाएं ग्रहण की । लेकिन एक पढ़े लिखे नेतृत्वकर्ता में एक गुण होता है उन्होंने अपने जन्मदिन पर अपने एक सुझाव से फिर जनता के हित मे एक बड़ा कदम उठाने का सुझाव दिया उन्होंने कहाँ की "गरीबों तक भोजन पहुंचाने के लिए मिड डे मिल योजना के संसाधनों का प्रयोग किया जाए :- आज पूर्व सांसद एवं मध्यप्रदेश भाजपा प्रवक्ता प्रो.चिन्तामणि मालवीय जी ने कलेक्टर महोदय जिला उज्जैन शशांक मिश्र जी से फोन पर बात कर 21 दिन के लॉक डाउन के संबन्ध में बात की उन्होंने सुझाव देते हुए कहाँ की 21 दिन के लॉक डाउन में गरीब ,निशक्त ,बेसहारा लोगो के पास शासन व्यवस्था से नियमित भोजन पहुंच सकें इस हेतु माध्यम भोजन (मिड डे मिल) व्यवस्था अंतर्गत
उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग किया जाए चुकी उक्त व्यवस्था स्कूली बच्चों के लिए होती है लेकिन अभी 21 दिन स्कूलों के अवकाश को देखते हुए इस व्यवस्था का उपयोग गरीब नागरिकों के भोजन हेतु किया जा सकता है । इस व्यवस्था में भोजन के वितरण के लिए वाहन भी होते है अतः किसी तरह की परेशानी नही आएगी । सामाजिक संस्थाओं को साथ लेकर इस दिशा में कार्य किया जा सकता है । साथ ही कुछ लोग वेवजह ही घरों से बाहर सड़कों पर घूम रहे है उन्हें सख्ती के साथ रोका जाए ।"