लोहे या घोड़े की नाल से बने शनि के छल्ले की खास बातें ।


लोहे के छल्ले या अंगूठी को शनि का छल्ला कहा जाता है कुछ लोग घोड़े की नाल की अंगूठी बनवा कर पहनते हैं ज्योतिष के अनुसार शनि की ढैया साढ़ेसाती दशा महादशा या अंतर्दशा में तमाम तरह की परेशानियों से बचने के लिए लोहे का छल्ला पहना जाता है लाल किताब के सिद्धांत इस संबंध में क्या कहते हैं जानिए यह खास बातें।



 लाल किताब का रूल- लाल किताब में धातुओं के छल्ले को पहन्ने का उल्लेख मिलता है लाल किताब के अनुसार कुंडली की जांच करने के बाद ही लोहे का छल्ला पहनना चाहिए अन्यथा इसके विपरीत प्रभाव भी हो सकते हैं।


 चांदी का छल्ला- कुंडली में सूर्य शुक्र और बुध मुश्तरका हो तो खालिस चांदी का छल्ला मददगार होगा ऐसे में लोहे का छल्ला धारण करना नुकसानदायक हो सकता है।


 लोहे का छल्ला- जब बुध और राहु हो तो छल्ला बेजोड़ खालिस लोहे का होगा मतलब यह कि तब लोहे का छल्ला उंगली  में धारण करना चाहिए।


 जिस्म पर धारण करें- यदि बुध यदि बारहवें भाव में हो या बुध एवं राहु मुस्तका या अलग-अलग भावों में मंदिर हो रहे हो तो यह छल्ला जिस्म पर धारण करेंगे तो मददगार।


तब किस्मत चमका- देगा बारवा भाव खाना या घर राहु का घर भी है खाली लोहे का छल्ला बुध शनि मुस्तका है बुध यदि बारहवें भाव में है तो वह छठे अर्थात खाना नंबर  6 के तमाम ग्रहों को बर्बाद कर देता है अक्ल बुध के साथ अगर चतुराई शनि का साथ नंबर 2 पॉइंट 12 मिल जावे तो जहर से मरे हुए के लिए यह छल्ला अमृत होगा मतलब किस्मत को चमका देगा।


किसे नहीं पहनना चाहिए -ऊपर यह स्पष्ट हो गया है कि कुंडली में सूर्य शुक्र और बुध मुश्तरका हो तो लोहे का छल्ला नहीं पहनना चाहिए दूसरा यह कि जिस की कुंडली में शनि ग्रह उत्तम फल दे रहा हो उसे भी यह छल्ला नहीं पहनना चाहिए।


क्यों धारण करते हैं- छल्ला सामान्यतया इसका प्रयोग शनि राहु और केतु के दुष्प्रभावों और बुरी आत्माओं से बचने के लिए किया जाता है।


 किस अंगूठी में धारण करें -इसे दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण किया जाता है क्योंकि इसी उंगली के नीचे शनि पर्वत होता है।


 कब धारण करें -शनिवार के दिन शाम के समय इसे धारण करें इसके लिए पुष्य अनुराधा उत्तरा भाद्रपद एवं रोहिणी नक्षत्र सर्वश्रेष्ठ है।


 चेतावनी-यह अंगूठी धारण करने से पहले किसी लाल किताब के ज्योतिषी से परामर्श अवश्य कर लेना चाहिए।