बंद मिल की जमीन स्माटी सिटी को ।

प्रशासन ने सरकार को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा


करोड़ों रुपए की विनोद मिल की 18 हेक्टेयर जमीन सरकार ने स्मार्ट सिटी के लिए देने का आदेश जारी तो कर दिया लेकिन स्मार्ट सिटी बोर्ड इसे लेने को तैयार नहीं। बोर्ड का कहना है कि इस जगह पर उसकी कोई योजना ही नहीं है। प्रशासन ने  अब सरकार को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा है कि इस स्थिति में क्या किया जाए।
लंबी कानून प्रक्रिया के बाद बिनोद मिल की जमीन शासन के नाम दर्ज हुई है। लेकिन अब भी यह उलझन में पड़ी हुई है। न इस पर कोई योजना बन पा रही है न ही शहर के विकास में इसका योगदान हो पा रहा है। सरकार ने इसे स्मार्ट सिटी की योजना के लिए देने का आदेश तो जारी कर दिया लेकिन स्मार्ट सिटी बोर्ड का कहना है कि वह जमीन अभी उसके काम की नहीं। स्मार्ट सिटी बोर्ड का यह रुख देखकर प्रशासन भी पसोपेश में पड़ गया है। प्रशासन द्वारा शासन को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा गया है। शासन ने जमीन देने के साथ यह शर्त भी जोड़ी है कि जमीन की सारी देनदारी भी स्मार्ट सिटी बोर्ड को उठाना है। शासन ने स्मार्ट सिटी के लिए जमीन सौंपने के साथ ही यह आदेश भी दिया है कि वह अपना प्रोजेक्ट विकसित करे और मजदूरों को बकाया राशि सहित 100 करोड़ की देनदारी का भुगतान भी करें। स्मार्ट सिटी बोर्ड की यह समस्या है कि इतना बड़ा फंड कैसे जुटाया जाए और अगर कोई प्रोजेक्ट आगे बढ़ाया गया तो यह ग्यारंटी नहीं है कि 100 करोड़ वापस आ सके। इस कारण स्मार्ट सिटी बोर्ड अभी इस जमीन को लेने से पीछे हट गया है।